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कविता

समय से मुक्ति

रति सक्सेना


मुझे एक समय सारिणी दो
जिसमें मेरा अपना समय ही ना हो
फिर मुझे ऐसी समय सारिणी दो
जिसमें केवल मेरा अपना समय हो

मैं दोनो समय सारिणियों को
आमरस की तरह घोंट कर पी जाऊँगी

फिर समय मेरे भीतर होगा
और मैं मुक्त समय से

 


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हिंदी समय में रति सक्सेना की रचनाएँ



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